हम सभी इस तथ्य से परिचित हैं कि कलाओं का आदि स्रोत वैदिक
साहित्य है, जिसमें गीत–संगीत–नाट्य–संवाद-नृत्य- कथा आदि अनेक विधायें समुल्लसित हुयी हैं.
लौकिक संस्कृत साहित्य में तो ये समस्त कलायें अपने चरम उत्कर्ष पर पहुँचकर आमजन को
शिक्षित और आनन्दित करती रही हैं. जीवन के श्रमसाध्य पथ पर चलते चलते जब पथिक कहीं
विश्राम के लिए ठहरता है, तो ये कलायें ही उसके अन्दर ऊर्जा और उत्साह का संचार करती हैं.
जीवन में सौन्दर्य की अभिव्यक्ति कला के माध्यम से ही होती है और कला ही बालक के लिए
शिक्षा का श्रेष्ठतम माध्यम भी है.
आज जबकि व्यक्ति के जीवन में प्रत्येक पल एक नये संघर्ष का आमन्त्रण है, यह आवश्यक
जाता है कि उसको कुछ ऐसा मिले जो जीवन की प्रेरणा दे, सौन्दर्य की अनुभूति कराये और
संस्कारों में शुचिता का आधान करे. संस्कृत ही वह एकमात्र कलावृक्ष है, जहाँ सभी सुर-ताल-
आलाप-संवाद एक साथ परस्पर गुम्फित हैं. संगीत - गायन - नृत्य और नाट्य साहित्य तो
विश्व को संस्कृत की सबसे महान् देन है.
अकादमी संस्कृत में निहित कलाओं की इस विरासत को न केवल संरक्षित करने का प्रयास कर
रही है अपितु इन्ही के माध्यम से एक बार पुनः अध्ययन-अध्यापन, मनोरंजन और अभिप्रेरण
की दिशा में प्रयत्नशील है. इसीलिए उन सभी कलाकारों (संस्कृत भाषा में गायन/नाट्य आदि में
दक्ष) का आह्वान करती है, जो संस्कृत भाषा में निहित कला और सौन्दर्य की विरासत को आगे
बढ़ाने के लिए सहयोग करने का संकल्प रखते हों. अकादमी की वेबसाइट के माध्यम से यह
कार्य सम्पूर्ण विश्व तक आसानी से प्रचार-प्रसार पा सकता है.
निम्नलिखित विधाओं के कलाकारों का विशेष रूप में स्वागत है –
- संस्कृत भाषा में गीत गाने वाले गायक
- संस्कृत भाषा में नाटक/नुक्कड़ नाटक करने में सक्षम नाट्य-कलाकार
- संस्कृत भाषा के गीत/नाटक आदि के लिए संगीत देने वाले संगीतकार
- संस्कृत के काव्यों का पाठ करने में सक्षम कलाकार
- संस्कृत में स्वरचित काव्यपाठ करने वाले कविजन
- संस्कृत में अन्य मनोरञ्जक कार्यक्रम करने वाले कलाकार
- संस्कृत भाषा का आडियो/वीडिओ के माध्यम से विशेषशिक्षण करने वाले शिक्षक
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लेखक के रूप में
अकादमी संस्कृत भाषा और साहित्य को हिन्दी भाषा के माध्यम से आम लोगों तक पहुँचाने का कार्य कर रही है, जो विद्वान् इस कार्य
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शिक्षक के रूप में
अकादमी में प्रारम्भिक स्तर से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निर्देशन का कार्य कर रही है, जो विद्वान् शिक्षक के रूप में कार्य
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प्रचारक के रूप में
व्यापक जनसम्पर्क और विभिन्न प्रचार माध्यमों से संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना अकादमी की प्राथमिकता है,जो विद्वान् इस
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